बंगाल के हुगली जिले के एक छोटे से गांव कामारपुकुर में रहने वाले खुदीराम और चंद्रमणि की राम मिलाई जोड़ी थी !बे दोनों भी प्रभु श्रीराम के बड़े भक्त थे ! ईश्वर के प्रति उनकी भक्ति सिर्फ बाणी में नहीं बल्कि क्रिया में भी थी ! चंद्रमणि रात में अपने पड़ोस में यह देखने जाती थी कि सबको खाना मिला है या नहीं! अगर इंसान के मन को यह चेक करने की भूमिका दे दी जाए की ados-pados में सबने खाना खाया या नहीं तो बह कभी सत्य पाने में बाधा नहीं बनेगा! बरना ईश्वर(अनुभव,प्रेम) है या नहीं है ,इंसान यह चेक kar-karke ईश्वर (प्रेम) को खो देता है !
आम तौर पर एक महिला केबल अपने परिवार के लोगों के bharan-posan के बारे में सोचती है लेकिन चंद्रमणि को तो आस -pados के सभी लोगों के bharan-posan के विचार आते थे! बे सबके बारे में सोचती थीं,यह उनका गुण था,स्वभाव था!
चंद्रमणि और खुदीराम को रामेश्वर और रामकुमार नाम के दो बेटे और कात्यानी नाम की एक बेटी थी! १७ February १८३६ ko चंद्रमणि ने अपनी चौथी संतान को जन्म दिया ! उसका नाम 'gadadhar' रखा गया ! भगवान विष्णु को भी गदाधर नाम से पुकारा जाता है ! गदाधर का जन्म एक विशेष उद्देश्य से हुआ था ! उस समय किसी को पता नहीं था कि एक दिन यही बच्चा बड़ा होकर भक्ति को एक नया आयाम देनेवाला है ! निराकार का अनुभव प्राप्त होने के बाद गदाधर के गुरु तोतापुरी महाराज ने उन्हें 'Ramkrushna parmhansa' यह नाम दिया ! भगवान विष्णु के सबसे बड़े abtar भी राम और कृष्ण ही थे !
उनके परिवार में बर्षो से रघुबीर कुल की यानी रामचंद्र की पूजा होते आ रही थी ! यह परिवार राम नाम का परिवार था क्योंकि उनके हर रिश्तेदार के नाम में राम शब्द जुड़ा हुआ था ! जैसे :
दादाजी का नाम- माणिक राम
पिता का नाम- खुदीराम
बड़े भाई का नाम-रामेश्वर
सबसे बड़े भाई का नाम-रामकुमार
भांजे का नाम -हृदय राम
ससुर के नाम-रामचंद्र
गदाधर को भी उनके गुरु ने ऐसा ही नाम दिया, जिसमें राम का नाम समाया हो ! इस प्रकार उनके खानदान में 'राम नाम सत्य की माला जपी जा रही थी ! उनके चारों और राम ही राम रामचंद्र था और चंद्रमणि था-मा का नाम ! रामकृष्ण परमहंस के भक्तों के अनुसार खुदीराम और चंद्रमणि को उनके जन्म से पहले ही कुछ अलौकिक घटनाओं और दृश्यों का अनुभव हुआ था !
जैसे : एक बार उनकी मा ने सपने में देखा कि खुदीराम एक प्रकाशपुंज का रूप लेकर आए और उनके बिस्तर पर लेट गए ! एक पल के लिए तो चंद्रमणि डर गई, साथ ही उन्हें आश्चर्य भी हुआ कि इस सपने के पीछे क्या संकेत हो सकता है! इसके बाद जब बे गर्भवती हुई, तब उन्हें एहसास हुआ कि बह सपना पृथ्वी पर उनके पुत्र के जन्म का संकेत था
गदाधर के पिता खुदीराम भगवान राम के बड़े भक्त थे !कहते है कि गदाधर के जन्म से कुछ महीने पहले एक बार उन्हें प्रभु राम के दर्शन भी हुए और एक दिव्य आवाज सुनाई दी कि तुमने मेरी बहुत सेबा की है ! अब में तुम्हारे घर में बेटे के रूप में आऊंगा और तुम्हारी खूब सेबा करूंगा !
यह कितने आश्चर्य की बात है कि भगवान स्वयं आकर एक इंसान की सेबा करे ! लेकिन इसके पीछे एक रहस्य भी छिपा हुआ है !जब भी कोई सेबा करता है और अगर सेबा में से सेवक हट जाता है तो केबल भगवान ही बचता है ! सेबा करते करते जब अहंकार बिलीन हो जाता है तो बह abyktigat सेबा बन जाती है ! ऐसी सेबा में भगवान के होने का एहसास भी होता है !इसीलिए कहा जाता है कि हर बच्चे में भगवान होता है ! क्योंकि बच्चे अपना हर कार्य नी:स्वार्थ भाब से करते है ,उनमें किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं होता ! उनकी हर क्रिया सहज भाव से होती है ! बच्चो के द्वारा प्रार्थना भी बड़ी सहजता से निकलती है और कई लोगों का मानना है कि बे प्रार्थनाएं पूरी भी होती है !
पहली प्रार्थना
गदाधर जब छह बरस के थे तब उनकी बुआ कुछ दिनों के लिए अपने मायके कामारपुकुर में आई ! उन दिनों उनके घर में भजन कीर्तन का कार्यक्रम चल रहा था,जिसमें उनकी बुआ भी समिल हुई ! थोड़ी देर बाद कीर्तन के बीच में बुआ अचानक उठकर खड़ी हो गई और तेजी से अपने हाथ पैर झुलाने लगीं !यह दृश्य देखकर नन्हें गदाधर को बड़ा आश्चर्य हुआ ! उसने अपनी मां से पूछा कि 'bua को क्या hua' बे ऐसे अपने हाथ पैर झूला क्यों रही है? तब मा ने बताया ,उनके ऊपर माता सबार हो गई है !यह सुनकर गदाधर के अंदर पहली प्रार्थना उठी ! उन्होंने अपनी मा से पूछा कि ' मेरे ऊपर माता सबर होगी ? माता मेरी सवारी कब करेगी ?
बच्चो में कपट का भाव नहीं होता और ऐसी प्रार्थना निकलना अच्छा है या बुरा ,यह बच्चो को पता नहीं होता है ! दरअसल गदाधर के अंदर उठी प्रार्थना का आशय यह था कि 'मुझे जो शरीर मिला है, माता उसका उपयोग करे !उस वक़्त किसी को मालूम नहीं था कि ऐसे विचार भविष्य में होनेवाली घटनाओं की तैयारी होते है !जब भी आपके अंदर भक्ति बढ़ाने के और पृथ्वी लक्ष्य पाने के शुभ बिचार आते है ब शुभ इच्छा जागती है तो इसे एक प्रकार का संकेत समझें !
श्रीरामकृष्ण परमहंस द्वारा कि गई कई प्रार्थनाओं कि बजह से ही भविष्य में उनके साथ ऐसे लोगों का जुड़ना संभव हो पाया,जो उनकी भक्ति को समझते थे ! ऐसे लोगों का मिलना भी बहुत बड़ी कृपा हे ! हर इंसान को अपने जीवन में ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए कि ' हम आध्यात्मिक मंजिल प्राप्त करे और हमारे जीवन में ऐसे लोग आएं ,जो हमें समझें और आध्यात्मिक मार्ग पर हमारा सहयोग करें '! आपके जीवन में भी ऐसे लोग आ सकते हैं ! बस ,इसके लिए आपको सच्चे मन से सही प्रार्थना करनी होगी !
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