कोलकाता आकर गदाधर पहले की तरह ही काली माता के मंदिर में दिनचर्या शुरू कर दिए ।अब भी वे पहले की तरह भक्ति किया करते थे ।इस नए दौर में उनकी कुछ नई संभावनाएं भी खुली और उन्होंने कुछ नई साधनाएं की ।
जैसे उन दिनों भैरवी नाम की एक ब्राह्मण स्त्री कीसी ऐसे इंसान की तलाश कर रहीं थी ,जो सदैव भक्ति भाव में रहता हो ।दरअसल शास्त्रों में बताया गया है कि यदि कोई सम्पूर्ण भक्ति भाव से जी रहा हो तो उस इंसान से हर किसी को मुलाकात जरूर करनी चाहिए ।इसीलिए वह स्त्री ऐसे इंसान को खोजते हुए एक दिन काली मां के मंदिर पहुंचे ।उसने गदाधर की भक्ति के बारे में लोग से सुन रखे थे।जब वे गदाधर को देखे तो बोले में आप की तलाश में यहां तक आई हूं ।उसके बाद गदाधर को उन्होंने तंत्र साधना सिखाई ।
इस प्रकार उनके जीवन में कई लोग आते रहे और गदाधर उनसे कुछ ना कुछ सीखते रहे।इस तरह उनके जीवन में बहुत अच्छे लोग आने लगे इसलिए उनके बिचित्र हरकतों के वाबजूद धीरे धीरे लोगों के बीच उनके बारे में सकारात्मक राय बनने लगे ।
पहले जो लोग गदाधर के भक्ति को देखकर मजाक उड़ाया करते थे अब वे भी गदाधर के भक्ति को समझने लगे। उस महिला भैरबी ने भी लोगों को बताया की ये कोई साधारण पुरुष नहीं बल्कि एक अवतार है।इसके बाद कई लोग गदाधर के साथ शास्त्रार्थ करने भी आने लगे।उस जमाने में शास्त्रार्थ में जो बिजई होता उसके विचारों को सही मान कर ग्रहण किया जाता था।
उसके बाद से गदाधर कई शास्त्रार्थ में बैठने लगे।उनके विशिष्ट हरकते देखकर शास्त्रार्थ करने आए हुए लोग मान लिया कि ये कोई पागल नहीं बल्कि एक महापुरुष है।
इसके बाद वहां इस विषय पर चर्चा हुआ की गदाधर मनुष्य है या कोई अवतार ।शास्त्रार्थ के परिणाम के बाद गदाधर ने भी कहा मेरी ऊटपटांग हरकतों के कारण कई लोग मुझे पागल भी समझा ।ए भि कहा कि कभी कभी मुझे भी लगता कि मुझे कोई रोग है , जिसके कारण में ऐसी हरकतें करता रहता हूं ।लेकिन आज आप लोगों के शास्त्रार्थ के बाद मुझे मालूम हुआ की यह कोई रोग नहीं है ।
गदाधर को इस बात से कोई लेना देना नहीं था कि वे कोई साधारण पुरुष है या असाधारण पुरुष है ।इससे उनकी मासूम भक्ति झलकती है। अब गदाधर खुद ज्ञान कि खोज में थे और काली माता को पुकारते रहते थे । उनकी पुकार में जो भाव थे,वे भाव जब भाप बने तो उसके परिणामस्वरूप उनके जीवन में गुरु के रूप में तोतापुरी महाराज आए ।वे ऐसे गुरु थे ,जो गदाधर में उच्च संभावनाओं को महसूस कर सकते थे ।
उन्हें दिखाई पड़ता है कि गदाधर के शरीर में ऐसी अवस्था तैयार हो रही है , जो पूर्णता की तरफ पहुंच रही है ।वहां पूर्णता संभव है और उसके लिए प्रोत्साहन देने की जरूरत है ।ऐसा होने पर वह मुक्त हो जाएगा ,अर्थात वहां चेतना खुल जाएगी और परम चेतना अनुभूत होगी ।तोतापुरी महाराज गदाधर में ऐसी ही कई संभावनाएं देख रहे थे ।
जिस तरह गदाधर प्रार्थना करते थे ,जब इंसान से वेसी प्रार्थनाएं होने लगती है तो ,इंसान की प्रार्थना में बल आता है और उसका भाव भाप बनता है ।इसके बाद सीधे समाधान प्रकट हो जाता है ।
आज आप के जीवन में कई चीजें हो रही है ,कई चीजो के संकेत है, जो आगे होना चाहती है ।और कई चीजों के लिए आप प्रार्थनाएं भी कर रहे है ।जब आपकी प्रार्थनाओं में बल आ जाएगा तो आपको सीधे समाधान मिलेगा । लेकिन यदि वह समाधान आज के बजाय कल आनेवाला होगा तो आज के दिन भी आप उतने ही परेशान रह सकते है ,जितने एक साल पहले थे ।एक बार समाधान मिलने के बाद आप समस्या से मुक्त हो जाते है लेकिन फिर भी जब तक समाधान इंसान के सामने नहीं आता ,तब तक वह अपना विश्वास बरकरार नहीं रख पाता । ऐसे में प्रार्थना करना बंद न करे बल्कि विश्वास रखते हुए प्रार्थना को बल देते रहे ।
प्रार्थना में आपको उस चीज का वर्णन नहीं करना है ,जो आपको अपने जीवन में नहीं चाहिए बल्कि उस चीज पर अपना ध्यान केंद्रित करना है ,जो आपको चाहिए ।
गदाधर के अंदर काली माता के प्रति प्रार्थना उठ रही थी कि तुम कब मेरे साथ रहोगी । मुझे तुम्हारा हृदय में स्थान कब मिलेगा ।उनकी प्रार्थना के फलस्वरूप तोतापुरी महाराज गुरु रूप में उनके जीवन में आ गए ।
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